दूर भाग जाएगा ॲंधेरा
तुम्हें पथ से विचलित करने अगर
राह में चाहे छाया हो घना अंधेरा
चाहे मायूसी ने हीं क्यों नहीं तुम्हारे
चारों ओर ही डाला हो अपना डेरा
पथ कैसा भी हो कदम चले निरंतर
किंचित मन में कोई भय नहीं हो
आत्मबल इतना ठोस हो जिससे
साहस का भी कभी क्षय नहीं हो
जब तुम अपने हौसलों के बल पर
खुलकर अपनी उड़ान भरते हो
तो फिर इन आसन्न बाधाओं से
अकारण तनिक भी क्यों डरते हो
बाधाएं तुम्हें हरदम जोश दिलाती
बाधाओं को तुम हथियार बना लो
इच्छाशक्ति एकदम ठोस बनाकर
स्वयं अपने बेड़ा को पार लगा लो
पथ आलोकित होगा तेरे दम से
तब कहीं दूर भाग जाएगा अंधेरा
लक्ष्य पाने की तुम्हारी जिद्द से ही
हर जगह नाम हो जाएगा तेरा
सफलता के उच्च शिखर पर तब
अपनी ही चमक से चमकोगे तुम
अपने बल से अपनी राह बनाकर
अपनी ही विजय पर दमकोगे तुम