दूर नही
बेशर्म की कलम से
मुझसे दोनों जहान दूर नही।
दोस्त अब आसमान दूर नही।।
कुछ और पढ़ लो इश्क़ के पन्ने।
प्यार का इम्तिहान दूर नही।।
जो भी कहना है धीरे कहो।
इन दीवारों से कान दूर नही।।
छोड़ आए भले ही गाँव को।
पुरानी आन ओ शान दूर नही।।
खुद को बदला शहर के जैसा।
बेशरम से ईमान दूर नही।।
विजय बेशर्म
(संयोजक गाडरवारा ) 9424750038
मगसम 4019/2016