” दूर गगन में सूरज चमका, नई सुबह है आने को “
दूर गगन में सूरज चमका, नई सुबह है आने को,
किरणें बिखरी हैं जैसे ,धरती को गले लगाने को ,
प्रत्यंचा की टंकारों से सारी दुनिया गुंजेगी,
देश खड़ा अर्जुन बनकर फिर से बाण चलाने को,
साहिल पर यूं सहमे-सहमे वक्त गंवाना क्या यारों,
लहरों से टकराना होगा पार समन्दर जाने को,
हुस्नो-इश्क पुरानी बातें, कैसे इनसे शेर सजे,
आज की रचना तेवर लायी सोती रूह जगाने को,
पेड़ों की फुनगी पर आकर बैठ गयी जो धूप जरा,
आँगन में ठिठकी सर्दी भी आये तो गरमाने को,
अपने हाथों की रेखायें कर ले तू अपने वश में
कोशिश है रूठी किस्मत फिर से आज मनाने को,
दूर गगन में सूरज चमका, नई सुबह है आने को।