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21 Oct 2023 · 1 min read

दूरियां अब सिमटती सब जा रही है।

दूरियां अब सिमटती सब जा रही है।
मंजिलें सब पास प्रियकर आ रही हैं।
बढ रही धड़कन दिलों की देखिए अब।
स्वप्न नूतन प्रीति के दिखला रही हैं।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, २१/१०/२०२३

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