“दूब”
“दूब”
घास का ही पर्यायवाची
मैं तो दूब कहलाती हूं
प्रकृति से सीधा जुड़ाव
धरती मां को सहलाती हूं,
मिले बारिश तो हरी हो जाऊं
नहीं तो झाड़ बन जाती हूं
उघान हैं मेरे बिना अधूरे
घर की बालकनी महकाती हूं,
डॉक्टर की तुम मानो सलाह
आंखों की रोशनी बढ़ाती हूं
सीने पर टहलो मेरे नंगे पैरों से
तन में शीतलता लाती हूं।