Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Jul 2024 · 2 min read

दूबे जी का मंच-संचालन

एक बार दूबे जी साइकिल से जा रहे थे
दूसरे की चुराई हुई कविता गुनगुना रहे थे
बड़ा ही आराम था
शाहपुर में काम था
जाने क्या सोचकर मेरे मोहल्ले की तरफ आए
ढेर सारे कवियों को एक जगह पाए
फिर क्या था, इनका संचालक मन जागा
पूर्वनिर्धारित कार्यक्रम को पल भर में त्यागा
साइकिल खड़ी करके कवि मण्डली में आए
धीरे से एक कवि के कान में फुसफुसाए,
‘भाई साहब! मुझे कवि सम्मेलन के आयोजक से मिलवाओ
यदि हो सके तो मुझे ही संचालक बनवाओ’
कवि महोदय को मजाक सूझा
उन्होंने दूबे जी को समझा-बूझा
बोले,
‘संचालक की ही तो कमी है
इसीलिए सबकी आँखों में नमी है
आज स्थायी संचालक की पत्नी मर गई
बेचारे की सम्मेलन से छुट्टी कर गई
अच्छा हुआ,
आप सही समय पर आए
हम सभी कवियों को डूबने से बचाए
चलिए,
मंच पर आपका ही इन्तज़ार है
कवि सम्मेलन का मंच पूरी तरह तैयार है’
दूबे जी बड़े गर्व के साथ मंच पर आए
माइक सम्भाले और जोर से चिल्लाए,
‘सर्वप्रथम हम स्थायी संचालक की पत्नी को श्रद्धांजलि देंगे
उनकी आत्मा की शान्ति के लिए ईश्वर से प्रार्थना करेंगे
फिर कवि सम्मेलन प्रारम्भ होगा
मुख्य अतिथि के कर-कमलों से इसका शुभारम्भ होगा’
सुनते ही श्रोताओं में खलबली सी मच गई
शुक्र है भगवान का कि जान इनकी बच गई
‘मंच से उतारो’
सभी एक स्वर में चिल्लाए
दूबे जी अवाक थे, समझ नहीं पाए
स्थिति समझते ही ये मन ही मन शर्माए
गर्दन झुकाई और मेरे पास आए
बोले,
‘यार! मामला कुछ ज़्यादा ही संगीन है
मैंने सोचा मीठा होगा, पर ये तो नमकीन है’
दूबे जी की हालत पर मुझको तरस आई
मैंने उनको पास बिठाकर असली बात बताई
‘न तो ये कोई शोक-सभा है, न तो है काव्योत्सव
आज यहाँ है मेरे एक कवि-मित्र का तिलकोत्सव।
✍🏻 शैलेन्द्र ‘असीम’

1 Like · 44 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
स्पर्श
स्पर्श
Satish Srijan
गुरु पूर्णिमा
गुरु पूर्णिमा
Dr.Priya Soni Khare
इतना  रोए  हैं कि याद में तेरी,
इतना रोए हैं कि याद में तेरी,
Dr fauzia Naseem shad
*श्री विष्णु प्रभाकर जी के कर - कमलों द्वारा मेरी पुस्तक
*श्री विष्णु प्रभाकर जी के कर - कमलों द्वारा मेरी पुस्तक "रामपुर के रत्न" का लोकार्पण*
Ravi Prakash
कुछ खास शौक नही है मुझे जीने का।
कुछ खास शौक नही है मुझे जीने का।
Ashwini sharma
करते हैं संघर्ष सभी, आठों प्रहर ललाम।
करते हैं संघर्ष सभी, आठों प्रहर ललाम।
Suryakant Dwivedi
जहन का हिस्सा..
जहन का हिस्सा..
शिवम "सहज"
तुम्हें आसमान मुबारक
तुम्हें आसमान मुबारक
Shekhar Chandra Mitra
कितनी गौर से देखा करती हैं ये आँखें तुम्हारी,
कितनी गौर से देखा करती हैं ये आँखें तुम्हारी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
सबका अपना दाना - पानी.....!!
सबका अपना दाना - पानी.....!!
पंकज परिंदा
मन दुखित है अंदर से...
मन दुखित है अंदर से...
Ajit Kumar "Karn"
" तार हूं मैं "
Dr Meenu Poonia
* ये शिक्षक *
* ये शिक्षक *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
प्रणय गीत
प्रणय गीत
Neelam Sharma
जनता
जनता
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
हवस में डूबा हुआ इस सृष्टि का कोई भी जीव सबसे पहले अपने अंदर
हवस में डूबा हुआ इस सृष्टि का कोई भी जीव सबसे पहले अपने अंदर
Rj Anand Prajapati
23/151.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/151.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
शेखर सिंह
शेखर सिंह
शेखर सिंह
हम  बुज़ुर्गों  पर दुआओं के सिवा कुछ भी नहीं
हम बुज़ुर्गों पर दुआओं के सिवा कुछ भी नहीं
पूर्वार्थ
🙅आज का आह्वान🙅
🙅आज का आह्वान🙅
*प्रणय*
An Evening
An Evening
goutam shaw
ग़ज़ल _ सरहदों पर कहां भला जाए । श्रृद्धांजलि 😢
ग़ज़ल _ सरहदों पर कहां भला जाए । श्रृद्धांजलि 😢
Neelofar Khan
हिन्दी दोहा-विश्वास
हिन्दी दोहा-विश्वास
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
दिल कहे..!
दिल कहे..!
Niharika Verma
पाने की चाहत नहीं हो
पाने की चाहत नहीं हो
Sonam Puneet Dubey
स्मृति-बिम्ब उभरे नयन में....
स्मृति-बिम्ब उभरे नयन में....
डॉ.सीमा अग्रवाल
कछु मतिहीन भए करतारी,
कछु मतिहीन भए करतारी,
Arvind trivedi
"समय प्रबन्धन"
Dr. Kishan tandon kranti
सही गलत की पहचान करना सीखें
सही गलत की पहचान करना सीखें
Ranjeet kumar patre
बताओ मैं कौन हूं?
बताओ मैं कौन हूं?
जय लगन कुमार हैप्पी
Loading...