दूध छाछ के भाव
✒️?जीवन की पाठशाला ??️
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की कागजों पर लिखे एग्रीमेंट -टर्म्स कंडीशंस केवल उन लोगों के लिए हैं जो आँखों की शर्म -लिहाज रखते हैं -जुबान की कीमत समझते हैं वर्ना जिनके दिल दिमाग में ही बेईमानी -लालच हो ,नियत ख़राब हो उन लोगों के लिए कागजों की भी कोई अहमियत नहीं …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की ताले चोरों से बचने के लिए नहीं लगाए जाते बल्कि इसलिए लगाए जाते हैं की कभी किसी दिन कुछ देख कर किसी शरीफ -ईमानदार व्यक्ति का ईमान न डोल जाये …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की इस जीवन संग्राम में जरुरत से ज्यादा झुकना /विनम्रता सामने वाले के अहंकार को बढ़ावा देती है ,वो हमारी शराफत को कमजोरी समझ लेता है …,
आखिर में एक ही बात समझ आई की प्राइवेट नौकरी में अधिकांशतः मालिक(Employer) उम्मीद करते है की कर्मचारी अपना शत प्रतिशत दे -पूर्ण निष्ठां ईमानदारी से कार्य करे -लम्बे समय तक टिका भी रहे लेकिन तनख्वाह हम उसके अनुभव और कार्य के हिसाब से कम दें , क्यों Employer ये नहीं समझना चाहते की कैसे गरमा गर्म केसर और मलाई वाला दूध उनको छाछ के भाव मिलेगा ?
बाक़ी कल , अपनी दुआओं में याद रखियेगा ?सावधान रहिये-सुरक्षित रहिये ,अपना और अपनों का ध्यान रखिये ,संकट अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क ? है जरुरी …!
?सुप्रभात?
स्वरचित एवं स्वमौलिक
“?विकास शर्मा’शिवाया ‘”?
जयपुर-राजस्थान