दूध और आँचल
#दूध_और_आँचल
अपने रक्त से पोषित कर
निज दुग्ध पिलाकर पाला मुझे |
माँ तू ही तो ईश्वर है मेरी
तेरी सेवा करूँ अरु मैं पूजूँ तुझे ||
तेरे स्तन का दूध पिऊँ मैं
हो जवां राष्ट्र का निर्माण करूँ |
तेरे आँचल के छाँव में रहूँ
हर नारी रूप का सम्मान करूँ ||
माँ मैं हूँ इस जग से अज्ञान
दे अक्षर ज्ञान अब मुझको ऐसा |
उँगली उठाकर कोई अब से
ना कहे कोई मुझको ऐसा-वैसा ||
तेरे आँचल का मान रखूँ मैं
तेरे दूध को नहीं लज्जित करूँ |
तुझे लाकर विश्व-पटल पर
विश्व स्तर पर सुसज्जित करूँ ||
तेरे आशीष से फलित हो मैं
खंडित विश्व को अखंड बना दूँ |
इस अखंड भारत को फिर मैं
जगत गुरु पुनश्च प्रचंड बना दूँ ||
माँ तू ही है मेरी प्रथम गुरु
माँ तुहीं मेरी जिस्म-ओ- जाँ है |
जग में सबसे प्यारी तू मेरी
हर रिश्तों में श्रेष्ठ मेरी माँ है ||
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दिनेश एल० “जैहिंद”
22. 08. 2018