दुश्मन जो देश के है घुटनों के बल चलें
सेना के इस शौर्य का हम तो नमन करें
धूल, वीरों के पैर की मस्तकों पे हम धरें
ये निकले जिधर से भी पृथ्वी वहां हिलें
दुश्मन जो देश के है घुटनों के बल चलें
***
– रामचन्द्र दीक्षित ‘अशोक’
सेना के इस शौर्य का हम तो नमन करें
धूल, वीरों के पैर की मस्तकों पे हम धरें
ये निकले जिधर से भी पृथ्वी वहां हिलें
दुश्मन जो देश के है घुटनों के बल चलें
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– रामचन्द्र दीक्षित ‘अशोक’