दुश्मन कहां है?
दुश्मन कहां है?
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निगाह लगा अंतर्मन देखें
अन्तर्मन में फोड़ा है।
दुश्मन हमारा कहीं और नहीं
जिसने हृदय को तोड़ा है।।
खोज रहे हैं दुश्मन बाहर
दुश्मन साथ में बैठा है।
देख रहे हैं उन्नति भारत की
वह मन मसोट ऐठा है।।
मिटा दो निशान खानदान की
देश द्रोही, विदेशी धोखा है।
निज समझ सत्ता दिये,वह ही
भारत विकास को रोका है।।
हाथ मिलाकर दुश्मन से वह
सनातन संस्कृति नाश किया।
भारतीय सभ्यता मिटाकर के
विदेशी संस्कृति संस्कार दिया।।
दुश्मन हमारा कहीं और नहीं
घर अंदर छुपकर बैठा है।
काम क्रोध अंहकार की मूर्ति
नकली गांधी बनकर बैठा है।।
श्री राम लला की सुंदर मुर्ति
निज हाथों से जिसने तोड़ा है।
जो सनातन का घोर विरोधी
वह पापी भारतीय फोड़ा है।।
जय श्रीराम, सीताराम, राम राम