दुल्हन एक रात की
आज आधुनिक समय में हम सभी को एक दूसरे प्रतिस्पर्धा रहती है हम सभी अपने अपने जीवन में एक दूसरे के प्रति प्रेम सहयोग चाहत सब रखते हैं परंतु जो हमारे दिल में हमारे मन में बसता है यह हमारे मन मुताबिक कार्य करता है दूसरे दिन कह सकते हैं कि एक लड़की एक लड़के से मनमानी या अपने कहे अनुसार नियम पर चलना बातों में चलना और कहने का अनुसार काम करना ऐसा एक आज की आधुनिक युग की प्रचलन बन चुका है। आज तो लड़के घर जमाई के रूप में भी रहकर खुश है क्योंकि आज आधुनिक परिवेश में बहु बेटे से ज्यादा लड़की और दामाद को हम ज्यादा वरीयता देते हैं। इसका कारण कि हम सभी बेटे बहु को सच के साथ नहीं समझ पाते है। और बेटी और दामाद के साथ इसलिए रिश्ता निभता है कि हम उनके साथ 24 घंटे रह नहीं पाते हैं। हां पर कहानी तो दुल्हन एक रात की दुल्हन एक रात के लिए भी हमें जीवन में प्रेम चाहत और एक दूसरे के प्रति आकर्षण और साथ में एक दूसरे के प्रति जलन भावना और प्रतिस्पर्धा भी रखनी पड़ती है।
दुल्हन एक रात की एक स्कूल में पढ़ते हुए नौजवान राजन की और उसी के कॉलेज की सुंदर तेज दरार लड़की निकिता भी राजन की तरह पढ़ने लिखने में आगे थी। और निकिता में अक्सर पढ़ाई को लेकर क्लास में एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ सी लगी रहती थी और इसी हो के दौरान न जाने कब एक दूसरे को दिल दे बैठे और समय बीतता गया पढ़ाई पूरी हो गई। निकिता राजन से पूछती है। अब राजन आपका क्या इरादा है और मेरे घर बारात लेकर कब आ रहे हो। शहर पटना से लौटकर आने के बाद अपने माता-पिता को आपके घर साथ लेकर आता हूं ऐसा कहने के पश्चात राजन निकिता से गले मिलकर और उसे भरोसा देखकर पटना की ओर निकल जाता है। पर समय को कुछ और मंजूर था। राजन जी ट्रेन से पटना जा रहा था इस ट्रेन का भीषण एक्सीडेंट हो जाता है और उसे एक्सीडेंट में राजन की मृत्यु हो जाती है। इधर निकिता इस बात से बेखबर की जिस ट्रेन से राजन गया था उसे ट्रेन का एक्सीडेंट हो गया है और राजन अब इस दुनिया में नहीं रहा है। निकिता दिन महीने साल राजन के लौटने का इंतजार करती है परंतु समय बीत जाता है राजन नहीं आता है और निकिता उसकी प्यार और उसकी यादों में अपने जीवन का मकसद ही भूल जाती है इधर निकिता के माता-पिता उसकी उदास रहने के साथ-साथ उसकी शादी एक रईस खानदान में कर देते हैं। निकिता और विपिन की शादी जाती है विपिन को अपने पैसे का और रुपए का बहुत घमंड था और वह बात-बात पर निकिता को ताने देता था। जो बातें निकिता को अच्छी नहीं लगती थी फिर भी निकिता विपिन से कहती थी अब तो हम और आप पति-पत्नी हैं और जो आपका है वह मेरा है मेरा जो है आप का है ऐसा कहकर विपिन को समझाने की कोशिश करती थी। पर विपिन की अय्याशियां बढ़ती जा रही थी और मैं निकिता को पत्नी के तौर पर कम और एक वेश्या रूप में ज्यादा देखा था। निकिता को शादी के बाद मालूम चला कि विपिन को वेश्यावृत्ति की आदत भी है वह घरेलू संस्कार से ज्यादा निकिता को हम बिस्तर के समय तरह की बातें करता था जो कि निकिता को पसंद ना थी विपिन निकिता से कहता है मैं तुमसे तलाक लेना चाहता हूं। निकिता भी खुशी खुशी तलाक देकर चली जाती है। निकिता को आज भी राजन का इंतजार था और अब विपिन की तलाक से भी टूट चुकी थी। एक नारी जब जीवन मैं टूट चुकी और धोखा खा चुकी होती है तब वह एक नारी न होकर एक बहनी बन जाती हैं। और और जीवन में नारी का भाग्य और किस्मत का भी कुछ नहीं कहा जा सकता हैं। वैसे तो जीवन में किसी की भी किस्मत तो भाग्य का नहीं कहा जाता परंतु यहां बात नारी महिला के के जीवन में अकेलेपन से है अब निकिता की माता-पिता का भी देहांत हो चुका था और निकिता के परिवार में सब अपनी अपने कामों में व्यस्त थी केवल निकिता के पास उसकी माता-पिता की संपत्ति का एक मकान था वह इस मकान में गुजर बसर कर रही थी अचानक एक दिन दरवाजे पर दस्तक हुई और निकिता ने दरवाजा खोला एक अधेड़ उम्र का आदमी किराए पर मकान के लिए बात करने के लिए पूछ रहा था निकिता भी चार कमरों के मकान में अकेली थी उसने पूछा आपका नाम क्या है बोला मेरा नाम राजन है नाम सुनकर निकिता कि अतीत के पन्नों में घूम जाती है परंतु राजन द्वारा पूछता है हां जी क्या आपके यहां मकान खाली है निकिता हां में सिर हिला देती है।
राजन और निकिता के बीच में किराया और इकरार हो जाता है और राजा एन निकिता की ठीक सामने की दो कमरे किराए पर ले लेता है। समय बीतता है और निकिता भी अपनी उम्र में पुरुष की जरूरत समझती है। और राजन और निकिता में नजदीकी बढ़ती है और दोनों किराएदार के साथ-साथ बाहर घूमने होटल पर जाना खाना खाना भी शुरू कर देते है। बस नारी का जीवन पुरुष के बिना अधूरा है यह हम सब सच्चाई जानते हैं परंतु जीवन में कुछ कड़वाहट और बर्दाश्त करने से जीवन सही राह पर चल सकता हैं। परन्तु हमारी समय की नासमझी और नादानियां हमें जीवन में गलत राह पर ले जाती हैं। बस समय और समाज किसी का नहीं होता है। एक दिन राजन निकिता के कमरे में आ जाता है निकिता नेट गाउन में सो रही होती है। और निकिता के बदन को देख वह कमरे को बंद करके निकिता के साथ हम बिस्तर हो जाता हैं। निकिता भी समय की मारी जरूरत की प्यासी राजन का सहयोग करने लगती हैं। और राजन तो एक परिपक्व आदमी था। और वह सुबह होते ही उसके मकान को छोड़कर चला जाता हैं। और निकिता के नाम एक पत्र छोड़ जाता हैं।
निकिता सुबह उठकर वो पत्र पढ़ती है तब उसमें पहली लाइन पढ़कर निकिता चौक जाती हैं निकिता तुम मेरी दुल्हन एक रात की बनी उसका तो मैं यही कह सकता हूं कि तुमको मेरी जरूरत थी पर मेरी पत्नी और परिवार मेरा सबकुछ है। और रात तो मैं आपको किराया देने गया था परंतु आप सो रही थी तब आपका बदन और सोते हुए आपको देख मेरा मन भावों में मेरी पत्नी का चेहरा जा गया। और आपने भी मुझे हमबिस्तर होने में सहयोग कर दिया। मुझे मेरी पत्नी का सहयोग मिला। अब मेरा काम इस शहर से खत्म हो गया है।आप मेरी दुल्हन एक रात की बनी जिसका नाम किराए का दस गुना आपको देकर जा रहा हूंँ।
निकिता हाथों में लाख रुपए पकड़ कर बुदबुदाती दुल्हन एक रात की बस नारी का जीवन और समाज के साथ यही है। वाह री किस्मत में दुल्हन बनी वो भी दुल्हन एक रात की कहते हुए निकिता फिर सो जाती हैं।
सच तो दुल्हन एक रात की कल्पना और हकीकत की सुनी एक कहानी है जिसमें सभी नाम काल्पनिक हैं। अगर किसी के जीवन से घटना मिलती हैं तो यह एक इत्तेफाक होगा।