दुर्मिल सवैया
दुर्मिल सवैया
पितु मातु नवाकर शीश सदा, गुरु को करबद्ध प्रणाम करूँ।
ह्रद में मम ज्ञान अपार भरे, जय ब्रम्हप्रिया शुभ ध्यान करूँ।
यश बैभव कीर्ति मिले हमको, जग में पितु रोशन नाम करूँ।
मद लोभ न क्रोध न मोह रहे , जनमानस के हित काम करूँ।
अदम्य