दुर्मिल सवैया :- भाग 5
दुर्मिल सवैया छंद :– भाग -5
चित चोर बड़ा बृजभान सखी ॥
8 सगण /4 पद
रचनाकार :–अनुज तिवारी “इंदवार”
॥ 9 ॥
वशुदेव चले अवधेश धरे ।
इक सूप सजा सर आसन में ।
सब जीव सजीव सचेत चले ।
रख दर्शन की जिद दामन में ।
गरजे बदरी बिजुरी चमकी ।
बरसात बड़ी भय सावन में ।
प्रभु के पग की रज रान लिए ।
मचली जमुना सुर जौवन में ।