दुर्गा मां से प्रार्थना
नवनीत आंचल में हमें समेट लें।
पुरखों की भूमि में हमें उड़ेल दे।
मरते दम की आरजू हैं।
कभी तो बन सकूं तेरे चाहतों जैसे
ममता के मूरत में प्रेम के रौनक में देख चुकी,
अपने जीवन क्रीड़ा – स्थल को
भीरूता को देख , शक्ति हीनता नजर आती है हममें।
तू ही देख मां हैं मेरी इfल्तजा (निवेदन, प्रार्थना )
तुम्हें देख दुर्गति विनाशनी ( स्त्री- माँ ) दर्शाती हैं।
दुर्गा मां अपने बच्चे को भी रण चंडी का अवतार बना दे,
भीरुता , दीनता को छोड़ दे मां हिम्मत भर दें।
बिल्कुल अपने जैसे बना देना।
कृपा की बरसात अंबे बरसा देना।