दुर्गा माँ पर दोहावली
1
ऊँचे ऊँचे पर्वतों, पर माँ का दरबार
उनके दर्शन से मिले, मन को खुशी अपार
2
मन को खुशी अपार हो, जब गम होते दूर
माँ सच्ची अरदास को, कर लेती मंजूर
3
कर लेती मंजूर है, माँ भक्तों की बात
करते मन से अर्चना ,जब आते नवरात
4
जब आते नवरात हैं, ऐसे खिले बहार
जन जन के मन में बहे, सरस भक्ति की धार
5
सरस भक्ति की धार से, भीग गया संसार
पूरे जग में हो रही, माँ की जय जय कार
6
माँ की जय जय कार से,हो जाता उद्धार
कर देती उनकी कृपा, भवसागर से पार
17-10-2018
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद