दुम
दुम
दुम बरजोर है इज़्ज़त के आखिरी सरपरस्ती का
जो निभाता है दायित्व दुम हिला करके
दुम में ताकत है सींग, दांत, और पंजों का
जनाब- ए- नाताकत को दुम दबा के निकलना होगा
गर चाहते हो उठा के चलना दुम तो
हाकिम – ए – दुम को पैरों से मशलना होगा
वे अक्सर दबा लेते हैं दुम उन तमाम लोगों का
जो कांटे की तरह नब्ज़ों में चुभा करते हैं
सम्भल जाओ ऐ दुम छिपा के चलने वालों
नंगे को इस दुनिया में ख़ुदा कहते हैं।।
~आनन्द मिश्र