दुपहरी
झूठ के आगे सच्ची कहानी न ठहरी।
कान ही है न बहरा, बुद्धि भी हुई बहरी।
सबको आया नजर बस सुनहरा सा दिन,
आया न ये नजर की कैसी है ये दुपहरी।
-सिद्धार्थ
झूठ के आगे सच्ची कहानी न ठहरी।
कान ही है न बहरा, बुद्धि भी हुई बहरी।
सबको आया नजर बस सुनहरा सा दिन,
आया न ये नजर की कैसी है ये दुपहरी।
-सिद्धार्थ