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20 Jan 2019 · 1 min read

दुनिया

हमने सोचा बैठकर इस दुनिया के लिए हमने क्या कुछ न किया।।
रिश्तों का ऐसा कौन सा फर्ज़ था जो अदा न किया।।
एक पल मे तोड़ दिया दिल मेरा इस दुनिया ने।।
जितनी बड़ी सज़ा थी उतना बड़ा गुनाह तो न किया।।
कभी सोचती हूं ये सारा जहां होता,
लेकिन खुदा न होता तो क्या होता।।
सबकी यादें मेरे आस पास रहती हैं,
बहुत दिनों से मेरी तबीयत उदास रहती हैं।।
बिछड़ गए मगर दिल मानता नहीं,
न जाने क्यों अपनों से मिलने की आस रहती हैं।।
दुनिया मे भला कौन हैं हम बेगानों का,
जो थे वो कर गए खून मेरे अरमानों का।।
खुशी क्या है हमें मालूम न मेरे खुदा,
गमो से गहरा नाता हैं इस दिवानी का।।

कृति भाटिया।।

Language: Hindi
310 Views
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