दुनिया है एक ओर,सच तो कुछ है और
दुनिया है एक ओर,
सच तो कुछ है और….
हम पढा रहे हैं बच्चों को
महँगे स्कूल/कॉलेजों में
और स्कूल/कॉलेजों के बगल से
बह रहे हैं काले नाले!
__________________
पहाड़-प्रकृति प्रेमी पहाड़ों को वीरान छोड़कर
शहरों में विराजमान हैं।
और पलायन पर बना रहे कई
समितियां/संगठन
ताकि बचा रहे अस्तित्व उस वीरान का
उस पहाड़ का।
________________
देश में होड़ मची है बड़े
संस्थानों से कुछ डिग्रियां हासिल करने की
पर तमाम नामी संस्थानों का
दुनिया में कहीं भी स्थान नही….
________________
जेब खाली हैं और फेंकी जा रही…
खुद के घर की हालत न देखी जा रही
जिसने कभी कुदाल नहीं चलाई
वो आज आंदोलन कर रहा..
किसान तब भी मरता था
आज भी मर रहा है…
_________________
और देखो!
हकीकत किसी को रास नहीं आएगी
मेरी बात भी समझ
किसी-किसी को खास नहीं आएगी
वो जो दिखते हैं, वे वो हैं ही नहीं..
दुनिया है एक ओर..
सच तो है कुछ और
___________________
हिमालय पर कवि कविता लिख तो सकेगा
आलीशान बिल्डिंगों और महँगे सोफ़े
में पालती मारकर..
पर उस हिमालय की गहराई को समझने को
उसे उधर जन्म लेना होगा
वरन ज़रूर कुछ वक्त बिताना ही पड़ेगा।
_____________
©️®️✍️Brijpal Singh