दुनिया से सीखा
दुनिया से सीखा है मतलबी होना ।
जानते बूझते भी अजनबी होना।
कैसे किसी अपने को देते हैं धोखा
और उस पर कैसे ढूंढे लोग मौका।
औलाद मां बाप को पाल नहीं सकती
बिना पैसे के कोई दाल नहीं गलती।
कैसे भाई भाई को दूर करे जायदाद।
दुख में कोई अपना न करे इमदाद ।
सब रिश्तों पर कैसे है भारी तिजारत ।
लाज सब खो गई रह गयी हिकारत ।
सुरिंदर कौर