*दुनिया से जब जाऊँ तो क्या, छोड़ूँ क्या ले जाऊँ( हिंदी गजल/गी
दुनिया से जब जाऊँ तो क्या, छोड़ूँ क्या ले जाऊँ( हिंदी गजल/गीतिका )
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( 1 )
अंतर्मन की व्यथा यही है, किस- किस को समझाऊँ
दुनिया से जब जाऊँ तो क्या, छोड़ूँ क्या ले जाऊँ
( 2 )
पेट भर चुका है लेकिन यह, मन है फिर भी लोभी
यही सोचता है भोजन को, जरा और कुछ खाऊँ
( 3 )
बूढ़े तन में अक्सर आतीं, यह भावुक इच्छाएँ
बच्चों-जैसे उछलूँ-कूदूँ, ऊधम खूब मचाऊँ
( 4 )
पुण्य बताए अब तक केवल, मैंने अपने सब को
सोच रहा हूँ पाप छुपाऊँ, या वह भी गिनवाऊँ
( 5 )
मैं साधारण व्यक्ति देह में, सौ-सौ दोष लिए हूँ
भजूँ किस तरह मैं ईश्वर को, कैसे उसको पाऊँ
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9997615451