दुनिया रंग दिखाती है
अपनों से दूर होने पर , दुनिया रंग दिखाती है।
मन कही नहीं लगता ,न कोई शै लुभाती है।
याद आते जब अपने ,अश्क आंखों से बहते हैं।
लोग समझते हैं जिसे पानी,ये बहुत कुछ कहते हैं।
कद्र हर चीज़ की खोने के बाद ही होती है
यादें पुरानी बार बार दिल के ज़ख्म धोती है।
दुनिया रंगीन होती है जब होते हैं अपने संग।
दूर अपनों के होते ही ,दिखा दे ये अपने रंग।
ख्वाब कब कर पाये है हकीकतों का मुकाबला
दूर जब हो अपने,न आये सर पर कोई बला।
सुरिंदर कौर