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15 Nov 2020 · 1 min read

दुनिया में सच के नूर का जलवा बुलन्द है

दुनिया में सच के नूर का जलवा बुलन्द है
ईमानदार शख़्स का रुतबा बुलन्द है

बातें हैं उसकी हक़ में ग़रीबों के इस क़दर
देखो तो यार उसका नज़रिया बुलन्द है

जीता है दूसरों के लिए रात दिन फ़क़त
उस शख़्स का मेयार भी कितना बुलन्द है

क़ातिल नज़र ने कर भी दिया वार इस क़दर
सीने में दर्द आज भी इतना बुलन्द है

किस किस से सीखता है सियासत का वो सबक
कैसा भी कर दे काम नतीजा बुलन्द है

इन्सानियत का मुल्क में नारा बुलन्द हो
समझो के अपने देश का तारा बुलन्द है

पानी हमें ज़रूर है मंज़िल किसी तरह
‘आनन्द’ अज़्म अपना इरादा बुलन्द है

– डॉ आनन्द किशोर

1 Like · 465 Views
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