दुनिया में मैं कुछ करना चाहता हूॅं !
दुनिया में मैं कुछ करना चाहता हूॅं !
•••••••••••••••••••••••••••••••••••
⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐
माना कि मैं एक साधारण इंसान हूॅं !
माना कि मैं इक छोटी सी पहचान हूॅं !
माना कि सबके लिए मैं तो अनजान हूॅं !
सच है कि नहीं मैं कोई बड़ा धनवान हूॅं !
पर मैं ना कभी बेचता अपना ईमान हूॅं !
क्योंकि, दुनिया में मैं कुछ करना चाहता हूॅं !!
मैं अपनी मेहनत पे ही भरोसा करता हूॅं !
इधर – उधर की बातों में नहीं पड़ता हूॅं !
ईमानदारी में ही पूर्ण विश्वास रखता हूॅं !
बेईमानी की चर्चा से ही घबरा जाता हूॅं !
छल-कपट व प्रपंच से कोसों दूर रहता हूॅं !
क्योंकि, दुनिया में मैं कुछ करना चाहता हूॅं !!
न्यायप्रिय व्यक्ति मुझे ज़्यादा ही पसंद हैं !
पर ऐसे भले लोग तो इस दुनिया में चंद हैं !
सदैव हम अपने ख़यालातों में भी स्वच्छंद हैं !
मन विचरते आसमां में तन यहाॅं पे ही बंद हैं !
पर हमारे हौसले हमेशा से ही रहे बुलंद हैं !
क्योंकि, दुनिया में मैं कुछ करना चाहता हूॅं !!
बेघर गरीबों के मकान के बारे में सोचता हूॅं !
खुद के साथ औरों की भी मुक़ाम देखता हूॅं !
हर कार्य लगन से कर परिणाम देखता हूॅं !
दुनिया के चकाचौंध से दूर शांत रहता हूॅं !
देश को गरीबी के दंश से मुक्ति चाहता हूॅं !
हरेक सच्चे इंसान में अपना दोस्त ढूंढ़ता हूॅं !
विषम परिस्थिति में भी नए अरमान ढूंढ़ता हूॅं !
इज़्ज़त की रोटी में ही अपनी शान देखता हूॅं !
क्योंकि , दुनिया में मैं कुछ करना चाहता हूॅं !!
सत्कर्मों के करने में ही सदा विश्वास रखता हूॅं !
जाति-धर्म से ऊपर उठकर ही सदैव सोचता हूॅं !
भेदभाव की राजनीति से खुद को परे रखता हूॅं !
महिलाओं के लिए दिल में सम्मान खूब रखता हूॅं !
भूले भटके राही को राह आगे की दिखाता हूॅं !
ज़िंदगी से उदास लोगों में जोश़ खूब भरता हूॅं !
ज्ञानरहित लोगों में सदा ज्योति ज्ञान की भरता हूॅं !
क्योंकि , इस दुनिया में मैं कुछ करना चाहता हूॅं !!
बूढ़े-बुजुर्गों की मदद को दिल में करुणा भाव रखता हूॅं !
अस्वस्थों के स्वास्थ्य लाभ की कामना सदा करता हूॅं !
असहायों के कल्याण हेतु प्रार्थना खुदा से करता हूॅं !
भ्रष्टाचार का देश से जड़़-मूल से खात्मा चाहता हूॅं !
अपराधी को सलाखों के पीछे भिजवना चाहता हूॅं !
बहु-बेटियों, भाई-बहनों की सुरक्षा अति चाहता हूॅं !
जटिल अनुत्तरित प्रश्न के मैं उत्तर सदैव ढूंढ़ता हूॅं !
क्योंकि दुनिया में अपनी ख़ास पहचान चाहता हूॅं !
सचमुच , इस दुनिया में मैं कुछ करना चाहता हूॅं !!
स्वरचित एवं मौलिक ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 06-08-2021.
“””””””””””””””””””””””””””””
????????