दुनिया में फकीरों को
दुनिया में फकीरो को किस बात का रोना है
आकाश की है चादर ,धरती का बिछोना है
कुछ साथ न लाये थे कुछ लेके न जायेंगे
सीधी सी कहानी है पाना है न खोना हे
ये कर्म कमंडल है , छलकेगा न बिखरेगा
रिस जाय तो अंजुरी हे बच जाय दोना है
खुदगर्ज है ये दुनिया रिश्तो की तिज़ारत है
बस जिसमे दुयाये हैं इक माँ का डिठौना है
अहसास की ईंटो से बुनियाद बनी अपनी
बच जय तो पुख्ता है ढह जय तो लोन है
धड़केगा यकीनन ही वो सुन के मेरी ग़ज़लें
जिस दिल के दरीचे में एहसास का कोना है
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डॉक्टर इंजीनियर
मनोज श्रीवास्तव