दुनिया में दुनिया
दुनिया में
दुनिया
उस दुनिया में
फिर एक और दुनिया
जितने लोग
उतनी दुनिया
जितने जीव
उतनी दुनिया
जितने रिश्तों के उलझे भंवर
उतनी दुनिया
जितने मन में उठते भाव
उतनी दुनिया
दो हाथों में पकड़ी
बुनाई की सलाइयों पर
एक स्वेटर सी ही
कभी बुनती तो
कभी उधड़ती दुनिया
एक लम्बी सुरंग सी
अंधेरे से भरी दुनिया
एक खाने के बाद
दूसरा खाना
दूसरे के बाद तीसरा
एक जिन्दगी के सफर सी ही
बहुत लम्बी
चौड़ी
फैली हुई
विस्तृत यह सुरंग सी
दुनिया
किसी सिरे पर जाकर रुकती नहीं
कहीं से एक परत भी खुलती नहीं
एक प्रकाश की किरण के
दर्शन की अभिलाषी
एक पपीहे की ही प्यास सी
एक बारिश की बूंद को
तरसती यह दुनिया।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001