दुनिया में क्यों दुख ही दुख है
दुनिया में क्यों दुख ही दुख है
हाय! कहाँ लुप्त हुआ सुख है
नाव घिरे ना भंवर में मित्रो
गम्भीर हवाओं का रुख है
— महावीर उत्तरांचली
दुनिया में क्यों दुख ही दुख है
हाय! कहाँ लुप्त हुआ सुख है
नाव घिरे ना भंवर में मित्रो
गम्भीर हवाओं का रुख है
— महावीर उत्तरांचली