दुनिया बसाएँगे (भक्ति-गीतिका)
दुनिया बसाएँगे (भक्ति-गीतिका)
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(1)
नए रिश्ते नई कुछ मित्रता-दुनिया बसाएँगे
सितारे आसमानों से चमकते ले के आएँगे
(2)
चलन दुनिया का मतलब का समझ में कुछ नहीं आया
चलन हम ढाई अक्षर की मौहब्बत का चलाएँगे
(3)
हमारे बीच पूजाघर-पुजारी कुछ नहीं होंगे
नई दुनिया में हम भगवान को खुद ही बुलाएँगे
(3)
हमें मालूम है लाता है वह मस्ती-नशा भरकर
बुलाकर देर तक हम मस्तियों में खो-खो जाएँगे
(4)
नया इंसान गढ़ना है हमें सच्चे सरल मन का
न मजहब के किसी फंदे में फिर उसको फँसाएँगे
(5)
यह दुनिया हो चुकी इस वक्त पैसे के लिए पागल
यह पैसे कैसे दुनिया को मगर यम से बचाएँगे
(6)
सरल हृदयों में आ जाता है ईश्वर एक ही क्षण में
करामाती सरलता है यह सच सबको बताएँगे
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451