दुनिया देखी रिश्ते देखे, सब हैं मृगतृष्णा जैसे।
दुनिया देखी रिश्ते देखे, सब हैं मृगतृष्णा जैसे।
बहरुपिया आदर्श सभी का, रंग बदलते हैं ऐसे।।
मुखपर चाहत दिल में नफ़रत, अंदाज़ लिए गिरगिट-सा;
कौन पराया अपना ‘प्रीतम’, पहचाने यारों कैसे?
#आर. एस. ‘प्रीतम’