दुनिया जमाने में
दुनिया जमाने में न जाने कितनी ही ज़िंदगियां पड़ी है,
इसी जमाने की भीड़ में कहीं अपनी भी जिंदगी खड़ी है।
कुछ गुरबत में तो कुछ सुकून में कट जाती है,
तो कहीं कुछ मगरुर जमाने से भी लड़ जाती है।
कोई मांगे चांद सितारे कोई पूरे आसमां कि उम्मीद करता है,
पर ख्वाहिशों के इस जहान में सबको सब नहीं मिलता है।
लाख कोशिशों के बाद भी जिंदगी का राज़ किसी को नहीं मिला,
पर इंसानियत के साथ में ख़ुशी का साथ सभी को मिला।
बड़े हुए तो क्या हुआ छोटे दिल में मैल लिए घूमते हो,
दिखावे की जिंदगी में कैद ख़ुद की पहचान को ढूंढ़ते हो।
जरूरी नहीं कि दिल से निकली हर दुआ कुबूल ही हो जाए,
कुछ सवालों के जवाब तो अधूरी किताबों में भी ढूंढ़ते हो।