दुनिया घरों में दुबकी
कुण्डलिया
कोरोना का आगमन ,बिन बुलाय महमान ।
बालक वृद्ध जवान के ,छींन रहा है प्रान ।।
छींन रहा है प्रान , हालत बिगाड़ी सब की।
खास आम हैरान , दुनिया घरों में दुबकी ।।
न दिखे शत्रु अंजान ,इस बात का है रोना।
बचाये रखिये जान ,मिटा देगा कोरोना ।।
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रोग है महा विकराल , सब रखो निज ख्याल।
यम है विराजे कपाल , रखा रहेगा माल ।।
रखा रहेगा माल , समय साथ चल रे लाल ।
नियम से बांध चाल ,सजग सदैव निहाल ।।
देसि काढ़ा घर उबाल , जन जन होय निरोग।
दो गज दूरी रख कदम , नहीं आएगा रोग ।।
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रचनाकार- शेख जाफर खान