दुनिया के सभी बंधन से मुक्त होकर स्वयं को क़ैद करना चाहता है
दुनिया के सभी बंधन से मुक्त होकर
स्वयं को क़ैद करना चाहता है
आधुनिक यंत्र की इस दुनिया में
और जीत लेना चाहता है
सम्पूर्ण विश्व को इन आधुनिक यंत्र से
उसे खुद से अधिक विश्वास है
खुद के बनाये गए यंत्र पर
क्योंकि मनुष्य जो चाहता है
वही करती है, वो मशीने
लेकिन शायद भूल गया है
हर एक मनुष्य कि
वो बनता जा रहा है गुलाम
धीरे धीरे खत्म करता जा रहा है
खुद को,और बढ़ता जा रहा है
एक नई दुनिया की ओर
जो उसे ले जा रही है
मानसिक विकृति की ओर
वही मानसिक विकृति
जिसका शिकार हो रहे है
आप,मैं,और हम सब
भूपेंद्र रावत
27।07।2020