दुनिया एक दुष्चक्र है । आप जहाँ से शुरू कर रहे हैं आप आखिर म
दुनिया एक दुष्चक्र है । आप जहाँ से शुरू कर रहे हैं आप आखिर में वहाँ लौट आते हैं ।
आप अगर किसी के साथ गलत कर रहे हैं तो कहीं ना कहीं वो ही स्थिति आप अपने लिए बुन रहे होते हैं । दूसरों को दुःख में देखकर अगर आपके होंठों से हंसी फूट पड़ रही है तो आप निश्चय ही अपनी खुशियों का सौदा कर रहे हैं…. भयावह त्रासदियों से । किसी के साथ गलत करने के बाद आप अपनी बारी का इंतज़ार जरूर करें ।सभी शास्त्रों का सार यही कहता है प्रकृति का स्वभाव है कि वो आपका किया आपको ही लौटा देती है । अब तय आपको करना है कि कर्म के बीज से मनोभूमि पर कैसी फसल उगानी है जिससे खुशहाली की खेप काटी जा सके । खैर हँसी आती है कुछ लोगों पर जो खुद को नियति से ज्यादा चालाक समझते हैं इन्हें भान तक नहीं कि नियति इनकी हर चाल बारीकी से परख रही है । आपसे ऊपर भी कोई है जो मुस्कुरा रहा है आपकी मूर्खताओं पर जिन्हें आप चालाकी समझ रहे हैं। नियति सबके साथ प्रपंच रचती है सबको समान रूप से स्थितियां वितरित करती है । धैर्य रखिए आपको वही विरासत में मिलेंगी । आप उससे धोखा नहीं कर सकते । …….भरोसा रखिए प्रकृति आपको आपका सब लौटा देगी एक रोज
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