दुनियावाले हरामी है
***दुनिया वाले हरामी***
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दुनिया वाले बहुत हरामी है
पल में हो जाती नीलामी है
ज़र,जोरू,जमीनें हुई भारी
दंगे,झगड़ों भरी सुनामी हैं
पल पल हो जाता भारी है
परिणाम हो बड़ा दुर्गामी है
रंजिश भरी मोहब्बत देखो
दुश्मन सुना बहुत नामी है
नदियाँ बहती हैं उफान पर
सागर की जैसे महामारी है
नभ में दामिनी चमक रही
बादलों भरी रात गामी है
वार्तालाप शैली बड़ी उत्तम
मनसीरत संप्रेषण हामी है
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)