दुनियाभर के ज़ालिमो
दुनियाभर के ज़ालिमो के सारे के सारे जुर्म इक तरफ़
मुझको देखकर उसके मुस्कुराने का जुर्म इक तरफ़
आज भी लोग मुझे अक्सर उसके नाम से बुलाते है
मेरा नाम इस तरह लोगों के भूल जाने का जुर्म इक तरफ़
मुद्दत बाद बहुत करीब से होकर गुजरा है वो शख्स आज
यूं पास मेरे आकर उसका दूर जाने का जुर्म इक तरफ़
~विनीत सिंह
VINIT SINGH SHAYAR