दुनियां में निहित ज्ञान का हैं सार पुस्तकें।
(विश्व पुस्तक दिवस पर विशेष)
गज़ल- पुस्तकें
दुनियां में निहित ज्ञान का है सार पुस्तकें।
मिलता न कहीं और वो भंडार पुस्तकें।
हों सूर या रसखान, या मीरा कबीर जी,
सबका ही कराती हैं, ये दीदार पुस्तकें।
इनसे जो जले दीप, वो बुझता नहीं कभी,
करती हैं ये अँधियार में उजियार पुस्तकें।
जीवन मे अगर प्यार हो तो पुस्तकों से हो,
हाथों में ये रहती हैं, सदा यार पुस्तकें।
घर में जो हैं, तो रखिए इन्हें भी सँभाल के,
पाओगे नहीं ‘प्रेमी’ से वो प्यार पुस्तकें।
……..✍️ प्रेमी