दुनियाँ की भीड़ में।
दुनियाँ की भीड़ में वह जाने कहां खो गया है।
कोशिश तो बहुत की पर वह ना मिल सका है।।
जाने कैसे रहेगें हम बिना उसके यूं ज़िंदगी में।
फरिश्ते सा आकर फिर जो ओझल हो गया है।।
याद आता है बहुत उसके साथ गुजारा वक्त।
हर पल मेरी जिंदगी का बोझिल सा हो गया है।।
कोशिश तो की जीने की पर जिया जाता नहीं।
सांस लेना भी अब हमें मुश्किल सा हो गया है।।
रोते रोते नजरें भी थक गई है उसकी याद में।
मोती जैसा हर अश्क आंखो से निकल रहा है।।
उसके आने से जिंदगी जन्नत सी हो गईं थी।
मकसूदे मंजिल पर आकर पैर फिसल गया है।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ