दुख में ही सुख तलाश ले….
दुख में ही सुख तलाश ले
यूँ मन तू अपना तराश ले
शोले जो दहकते हैं भीतर
समझ तू उन्हें पलाश ले !
अज्ञान- तमस हरती चल
जग को जीवन देती चल
अथक सूर्य-सी आगे बढ़
जरा भी न अवकाश ले !
निराश न हो, हताश न हो
गम से तू खुद को उबार ले
दबे स्फुलिंगों से ज्वाला के
नवजीवन-दर्शी प्रकाश ले !
रहकर यूँ ‘सीमा’ में अपनी
जीवन तू अपना सुधार ले
कल्पनाओं के पंख पसार
नाप ये सारा आकाश ले !
– © डा.सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद (उ.प्र.)
“चाहत चकोर की” से