दुख और सुख
दुःख और दर्द का अहसास, ना आए कभी भी पास,
चाहता है यही हर दिल, दिन और रात।
खुशी का ये दूसरा पहलू, नहीं छोड़ता कभी साथ,
आने की ना देता कोई आहट, ना फैलाता हाथ।
कहते हैं, ना आने दो इसे कभी पास, पर ये तो है,
अपनों के तानों में, स्वार्थ भरी बातों में,
भावनाओं को ना समझने में।
बातों का गलत मतलब निकालने में,
ज़बरदस्ती दबाने में।
अपनों के पराया समझने में, खुद को सही और दूसरों को गलत कहने में।
सिक्के के दो पहलू, भूल दुखों को, अपनाओ खुशियो को,
आने दो जीवन में ढेरों खुशियों को।