दुखों भरा संसार
****दुखों भरा संसार***
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ये दुखों भरा संसार है,
कष्ट का लगे अंबार है।
बात बात पर भारी यहाँ,
स्वार्थ में शाह लाचार है।
चाल ताल टिकती ही नहीं
आर पार सब बेकार है।,
आशिकी नहीं आसान है,
मंझदार में दिलदार है।
बार बार मनसीरत कहे
राह नहीं मिलते तार है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)