दुखाना चाहता है
?? ग़ज़ल ??
वह मेरा दिल दुखाना चाहता है।
जो मुझको भूल जाना चाहता है।
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मोहब्बत ही मोहब्बत हर जगह हो।
अदब बस यह सिखाना चाहता है।
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ज़ख्म जितने थे वह शायद भर गए।
ज़र्ब वह फिर से लगाना चाहता है।
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शाम होते ही तो आ जाते परिंदे।
रात होते ही ठिकाना चाहता है।
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देखता है जब मुझे खामोश वह ।
देके खुशियां मुस्कुराना चाहता है।
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कोहसारों में भटक जाऊं सगीर।
वह मुझे गाकर सुनाना चाहता है।
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डॉक्टर सगीर अहमद सिद्दीकी खैरा बाजार बहराइच