दुआ
दुआ यही मांगते हैं प्रभु से, कष्ट दूर हों जमीं से।
न रहे कोई परेशां न बेजार हो खुशी से।
सबके घर लौटे खुशियां सब पाएं सुकून।
दर्द की सारी घड़ियों से हो जाएं महरूम।
है संकट की घड़ी मिल दुआ करें,
हे ईश संकटों से सबकी रक्षा करें।
हद हो गई अब हर सांस हुई महंगी,
मुश्किलें सांसों की दुविधा में ज़िंदगी।
दुआओं का असर फीका सा लग रहा है।
मातम है हर तरफ सूतक चल रहा है।
हे ईश कर दया दुआ का मान रख लो।
किसी की तो दुआ को जिंदगी के नाम कर दो।
कर लो कुबूल ईश्वर दुआ ये हमारी
छूटे संकटों से बेचैन दुनिया सारी।
अब दुआ का असर प्रभु दिखा दो,
शक्ति दुआ की इस जमी पर बिखरा दो।
स्वरचित एवं मौलिक
कंचन वर्मा
शाहजहांपुर
उत्तर प्रदेश