दुआ
दुआ जरूरी है तरक्की के लिए,
बुजुर्गों की दुआ साथ होगी,
तो इस धरा पर मानवता का कल्याण होगा।
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दुआ के लिए सबसे जरूरी कर्म होता है,
कर्म ही वह नाव है,
जिसके सत्कर्म और दुष्कर्म दो पतवार हैं।
अगर सत्कर्म करोगे तो भवसागर से पार हो जाओगे,
वरना दुष्कर्म तो मनुष्य बीच मंझदार में ही छोड़ देंगे।
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सत्कर्म करने वालों के लिए,
स्वर्ग नरक सब इस धरा पर ही विद्यमान होता है,
अच्छे कर्म करोगे तो समाज से अच्छी दुआ मिलेगी,
बुरे कर्मों से सर्वनाश तय है और,
इस परिस्थिति में ईश भी साथ नहीं देते।
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दुआ लेने के लिए,
सज्जन निष्काम कर्म करने की सलाह देते हैं,
निष्काम कर्म करने वाला कभी भी परेशान नहीं होता,
अपितु वह तो दिन दोगुनी,
और रात चौगुनी तरक्की करता है।
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इसलिए हे मानव,
समाज में सत्कर्म करो और,
समाज की दुआएं लेते रहो,
यही कल्याणकारी होगा और,
मोक्ष प्राप्ति में साधक भी होगा।
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डॉ प्रवीण ठाकुर
भाषा अधिकारी
निगमित निकाय भारत सरकार
शिमला हिमाचल प्रदेश।