दुःखा देता है
वो तो बस बात -ए – हवा देता है
अब कौन किसको कब दुआ देता है
जमाना ख़राब है जरा सम्भल के रहो
जिसको मौका मिले वही दिल दुःखा देता है
-सिद्धार्थ गोरखपुरी
वो तो बस बात -ए – हवा देता है
अब कौन किसको कब दुआ देता है
जमाना ख़राब है जरा सम्भल के रहो
जिसको मौका मिले वही दिल दुःखा देता है
-सिद्धार्थ गोरखपुरी