दी है
ज़ुबां पर बंदिशें देखो, नीलम तुमने ही लगा दी हैं,
हां,चाहत में नैनों से, नींद अपनी ही गंवा दी है
हैं आंसू बेकरार कब से दिल का हाल कहने को
हैं आंखें कैद पलकों में, नहीं इनको आज़ादी है।
ले लिया दिल संग चैन,नींदें और सुकून मेरा
छीनकर ख्वाब कहता है, हमने तुमको रिहा दी है ।
भरकर परवाज़ हमने सुन,मुहब्बत के आसमान में
नोचकर पंख खुद अपने, जीस्त की चाह गवां दी है।
नीलम शर्मा