इश्क़ का मौसम रूठने मनाने का नहीं होता,
कभी बहुत होकर भी कुछ नहीं सा लगता है,
चेहरे पे चेहरा (ग़ज़ल – विनीत सिंह शायर)
ज़िंदगी में वो भी इम्तिहान आता है,
आसमान की तरफ उगे उस चांद को देखना आप कभी।
*प्रेम की रेल कभी भी रुकती नहीं*
बातों की कोई उम्र नहीं होती
गंगा- सेवा के दस दिन (नौंवां दिन)
तुझसे वास्ता था,है और रहेगा
#जालसाज़ों_की_दुनिया_में 😢😢
*हर समय सरल व्यवहार रखो, कटु बातों से परहेज करो (राधेश्यामी
ईश्वर कहो या खुदा
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
चला मुरारी हीरो बनने ....
भाषा
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)