दीवार की बातें
दीवार की बातें
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* गीतिका *
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कभी भी अब नहीं करनी यहां दीवार की बातें।
भुलानी है हमेशा के लिए उस पार की बातें।
जमाना कुछ कहे हमको नहीं परवाह कर प्यारे।
हमें आगे बढ़ानी है मुहब्बत प्यार की बातें।
समय बहुमूल्य है इसका करें सम्मान मन से हम।
सहेगा कब तलक कोई यहां बेकार की बातें।
बहुत बरसात हो बैठी जरा सूरज निकलने दो।
अभी मन में न लें आएं कहीं बौछार की बातें।
हवा जब हो चुके सारे तुम्हारे आज आश्वासन।
अभी कर लो खिसकते जा रहे आधार की बातें।
बढ़ाकर दूरियां कुछ भी कभी हासिल नहीं होता।
मुहब्बत है जरूरी फिर करें अधिकार की बातें।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, २३/१०/२०२०