Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 May 2023 · 1 min read

दीवारें

दीवारें

विश्वासी ईंटों से निर्मित
थी अटल दीवारों की हसरत,
लेप स्वार्थ का लगा दिया
व्यापी जिसके भीतर नफ़रत।

भाई-भाई के बीच खड़ीं
मतभेद करातीं दीवारें,
अपनों का उपहास उड़ाकर
क्यों सज़ा सुनातीं दीवारें?

तनी हुईं ये अहं भाव से
टूटे लोग लिपट रोते हैं,
अपवादों की कील ठोककर
दृढ़ संबंधों को खोते हैं।

संदेहों की दीवारों से
घर किसके आबाद हुए हैं,
दीवारों के कान जहाँ हों
लोग वहीं बर्बाद हुए हैं।

मिट्टी, गारे की दीवारें
ताक रहीं खंडित रिश्तों को,
सीलन से गिरती दीवारें
कौन भरेगा अब किश्तों को?

स्वरचित/मौलिक
डॉ. रजनी अग्रवाल “वाग्देवी रत्ना”
वाराणसी (उ. प्र.)

मैं डॉ. रजनी अग्रवाल “वाग्देवी रत्ना” यह प्रमाणित करती हूँ कि” दीवारें” कविता मेरा स्वरचित मौलिक सृजन है। इसके लिए मैं हर तरह से प्रतिबद्ध हूँ।

Language: Hindi
2 Likes · 316 Views
Books from डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना'
View all

You may also like these posts

स्वयं से परीक्षा
स्वयं से परीक्षा
Saurabh Agarwal
ख़्वाहिशों को कहाँ मिलता, कोई मुक़म्मल ठिकाना है।
ख़्वाहिशों को कहाँ मिलता, कोई मुक़म्मल ठिकाना है।
Manisha Manjari
वो सितारे फ़लक पर सजाती रही।
वो सितारे फ़लक पर सजाती रही।
पंकज परिंदा
कागज़ के फूल ( प्रेम दिवस पर विशेष )
कागज़ के फूल ( प्रेम दिवस पर विशेष )
ओनिका सेतिया 'अनु '
मुस्कुरा देते हैं
मुस्कुरा देते हैं
Jyoti Roshni
पात्र
पात्र
उमेश बैरवा
मानवता का है निशान ।
मानवता का है निशान ।
Buddha Prakash
विदाई
विदाई
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
मन
मन
Happy sunshine Soni
*साम्ब षट्पदी---*
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
ईश्वर
ईश्वर
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
कुछ तो बदल रहा है
कुछ तो बदल रहा है
Sudhir srivastava
Love night
Love night
Bidyadhar Mantry
..
..
*प्रणय*
दोस्ती एक पवित्र बंधन
दोस्ती एक पवित्र बंधन
AMRESH KUMAR VERMA
Me and My Yoga Mat!
Me and My Yoga Mat!
R. H. SRIDEVI
मेरा हृदय खुली पुस्तक है
मेरा हृदय खुली पुस्तक है
महेश चन्द्र त्रिपाठी
बेवजह मुझसे फिर ख़फ़ा क्यों है - संदीप ठाकुर
बेवजह मुझसे फिर ख़फ़ा क्यों है - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
राखी पावन त्यौहार
राखी पावन त्यौहार
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
23/126.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/126.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
" वफ़ा "
Dr. Kishan tandon kranti
एहसासे-दिल की है शिद्दत ही शायद,
एहसासे-दिल की है शिद्दत ही शायद,
Dr fauzia Naseem shad
गंगा घाट
गंगा घाट
Preeti Sharma Aseem
मां
मां
Sonam Puneet Dubey
मैंने दुनिया की एक ही खूबसूरती देखी है,
मैंने दुनिया की एक ही खूबसूरती देखी है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
पंकज बिंदास कविता
पंकज बिंदास कविता
Pankaj Bindas
दो-दो कुल की मर्यादा हो...
दो-दो कुल की मर्यादा हो...
आकाश महेशपुरी
तुम भी पत्थर
तुम भी पत्थर
shabina. Naaz
बदलाव
बदलाव
Shyam Sundar Subramanian
Loading...