दीवाना हो गया सचमुच
तुझे देखा था इक पल जो दीवाना हो गया सचमुच।
तेरी मासूमियत से ही पराया हो गया सचमुच।।
मिलाई आंख से जो आंख तो ऐसा लगा मुझको।
मेरा हर कीमती किस्सा तुम्हारा हो गया सचमुच।।
— कवि देवेन्द्र शर्मा “देव
तुझे देखा था इक पल जो दीवाना हो गया सचमुच।
तेरी मासूमियत से ही पराया हो गया सचमुच।।
मिलाई आंख से जो आंख तो ऐसा लगा मुझको।
मेरा हर कीमती किस्सा तुम्हारा हो गया सचमुच।।
— कवि देवेन्द्र शर्मा “देव