दीवाना कर गया मुझे
दीवानी कर गया मुझे
तेरा वो श्याम रे सखी
पानी भरन कैसे जाऊं
पानी भरन मैं कैसे जाऊं
छेड़े सखियां आ आ आ आ
छेड़े सखियां दिन रात रे सखी।।
दीवानी कर गया मुझे
तेरा वो श्याम रे सखी
शामा सूरत हैं चेहरे पे पानी
होंठों से लगाए फिरें इक बासुंरी
एक मीनट जो ना देखे ना देखे
ढूढन लागे गली गली कस्तूरी
एक मन चाहे गांठ ना खुलें
एक मन चाहे ,रहूं साथ रे सखी ।।
दीवानी कर गया मुझे
तेरा वो श्याम रे सखी
जब से हुई हूं श्याम दीवानी
मुझसे जलती मेरी तन्हाई
बाबा मईया देख के हंसते
मेरी गुड़िया बड़ी हो गई ,कहते
जिस मन से मेरा मन जुड़ा है
मैं रोज देखूं ,वहीं चांद रे सखी।।
दीवानी कर गया मुझे
तेरा वो श्याम रे सखी
चांद चाहे तो चांद लाएं
आधी रात रास रचाएं
आंखों में है जादू उसके
नैन झपका होस उड़ा दे सबके
लाख जतन मैं कर कर थाकी
पकड़े घड़ी घड़ी हाथ रे सखी।।
दीवाना कर गया मुझे
तेरा वो श्याम रे सखी
नितु साह
हुसेना बंगरा ,सीवान-बिहार